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लेखनी कहानी -08-May-2024

शीर्षक – रवीन्द्र नाथ टैगोर जन्म दिवस


             रवीन्द्रनाथ टैगोर (जन्म 7 मई, 1861, कलकत्ता [अब कोलकाता], भारत - मृत्यु 7 अगस्तथं 1941, कलकत्ता) एक बंगाली कवि, लघु कथाकार, गीतकार , नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे जिन्होंने नए गद्य और पद्य की शुरुआत की बात है। रबीन्द्रनाथ ठाकुर (बांग्ला: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর) (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती को लेकर अक्सर लोग बहुत कंफ्यूज होते हैं। कुछ लोग इसे 7 मई को मनाते हैं जबकि कुछ लोग इसे 9 मई को मनाते हैं। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि  कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म 7 मई, 1861 को हुआ था जबकि पारंपरिक बंगाली कैलेंडर के अनुसार बोई शाख माह के 25 दिन हुआ था। रवीन्द्रनाथ टैगोर, जिनका जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता, भारत में हुआ था – मृत्यु 7 अगस्त, 1941 को हुई। बंगाली कवि, लघु-कथाकार, संगीतकार, नाटककार, उपन्यासकार और चित्रकार बंगाली साहित्य में नए गद्य और पद्य रूप और बोलचाल की भाषा लेकर आए। इसे शास्त्रीय संस्कृत पर आधारित मानक तरीकों से मुक्त करना। साल 2024 में ये रवीन्द्रनाथ टैगोर की 163वीं जयंती होगी. इस दिन सेमिनार आयोजित किए जाते हैं और लोग अपने कृत्यों, चर्चाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं और स्कूलों में छात्र उनकी उपलब्धियों और इस देश के लिए उनके द्वारा किए गए अविश्वसनीय कार्यों के बारे में बात करते हैं। रवीन्द्र जयंती रवीन्द्रनाथ टैगोर के जन्मदिन के सम्मान में मनाया जाने वाला एक वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम है। यह दिन दुनिया भर में बंगालियों के लिए उत्सव का क्षण है। अपने उपन्यासों और संगीत के लिए जाने जाने वाले बहुमुखी कलाकार का जन्म आज ही के दिन बंगाली कैलेंडर वर्ष 1268 (1861 ई.) में हुआ था।  रवीन्द्र नाथ टैगोर पिराली ब्राह्मण जाति से थे, जिसे मुसलमानों के साथ उनके सामाजिक संबंधों के कारण रूढ़िवादी हिंदू, हीन छोटे और प्रदूषित मानते थे। टैगोर को स्वयं अपनी जाति के कारण बहुत अधिक भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन उनके परिवार को करना पड़ा। रवीन्द्रनाथ टैगोर भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। वह एक बहुश्रुत कवि, दार्शनिक, संगीतकार, लेखक और शिक्षाविद् थे। रवीन्द्रनाथ टैगोर अपने कविता संग्रह गीतांजलि के लिए 1913 में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई बने। कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। 7 अगस्त 1941 को उन्होंने कोलकाता में अंतिम सांस ली। गुरुदेव बहुआयामी प्रतिभा वाली शख़्सियत थे। वे कवि, साहित्यकार, दार्शनिक, नाटककार, संगीतकार और चित्रकार थे। सच तो हम सब भी नहीं है बस हम सभी रविंद्र नाथ टैगोर के जन्म दिवस को परंपरा के अनुसार मानते चले आ रहे हैं और बहुत सी बातें हम गूगल से सर्च करके आप तक पहुंचा रहे हैं क्योंकि कोई भी लेखक इतिहास को नहीं बदल सकता है जिससे हम सभी को एक ही तरह की लेखन और सोच पढते हैं।
          और रविंद्र नाथ टैगोर जी का जन्म और मृत्यु के इस जन्मदिवस की कहानी के साथ सच लिखा है। 

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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2 Comments

Mohammed urooj khan

10-May-2024 01:02 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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kashish

10-May-2024 07:12 AM

Nice

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